"शाहजहाँ" फिल्म का ये गाना कुन्दनलाल सहगल की आवाज मे है. गीत के बोल है मजरूह सुल्तानपुरी के और सन्गीत दिया है नौशाद ने.
गम दिये मुस्तक़ील, इतना नाजुक है दिल ये ना जाना
हाय हाय ये जालिम जमाना
दे उठे दाग लो उनसे ए महलो कह सुनाना
हाय हाय ये जालिम जमाना
दिल के हाथो से दामन छुडाकर
गम की नजरो से नजरे बचाकर
उठके वो चल दिये कहते ही रह गये हम फसाना
हाय हाय ये जालिम जमाना
कोइ मेरी रुदाद देखे,ये मोहब्बत की बेदाद देखे
फुक रहा है जिगर मगर पड रहा है मुस्कराना
हाय हाय ये जालिम जमाना
गम दिये मुस्तक़ील, इतना नाजुक है दिल ये ना जाना
हाय हाय ये जालिम जमाना