बुधवार, अगस्त 03, 2005

हाय हाय ये जालिम जमाना

पता नही आज क्यों बहुत पुराने गाने सुनने का हो गया.अपनी कुन्दनलाल सहगल के संकलन से ये गाना सुन रह हुँ!
"शाहजहाँ" फिल्म का ये गाना कुन्दनलाल सहगल की आवाज मे है. गीत के बोल है मजरूह सुल्तानपुरी के और सन्गीत दिया है नौशाद ने.


गम दिये मुस्तक़ील, इतना नाजुक है दिल ये ना जाना
हाय हाय ये जालिम जमाना

दे उठे दाग लो उनसे ए महलो कह सुनाना
हाय हाय ये जालिम जमाना

दिल के हाथो से दामन छुडाकर
गम की नजरो से नजरे बचाकर
उठके वो चल दिये कहते ही रह गये हम फसाना
हाय हाय ये जालिम जमाना

कोइ मेरी रुदाद देखे,ये मोहब्बत की बेदाद देखे
फुक रहा है जिगर मगर पड रहा है मुस्कराना
हाय हाय ये जालिम जमाना

गम दिये मुस्तक़ील, इतना नाजुक है दिल ये ना जाना
हाय हाय ये जालिम जमाना

रविवार, जुलाई 31, 2005

आयी जन्जीर की झंकार खुदा खैर करे


आयी जन्जीर की झंकार खुदा खैर करे
दिल हुवा किसका गिरफ्तार खुदा खैर करे

जाने यह कौन मेरी रूह को छुकर गुजरा
एक कयामत हुई बेजार खुदा खैर करे

लम्हा लम्हा मेरी आन्खो मे खिंच जाती है
एक चमकती हुई तलवार खुदा खैर करे

खुन दिल का छलक ना जाये आन्खो से
हो ना जाये कहीं इज़हार खुदा खैर करे

ना जाने इस गाने मे क्या जादू है, कितनी ही बार सुनो मन नही भरता. गाने के बोल दिल को तो छु जाते है, कब्ब्न मिर्झा की वो लहराती हुई आवाज सिधे दिल की गहराइयो मे उतर जाती है. संगीत खय्याम का है बोल जान निसार अख्तर के है. मै कभी कभी ये गाना लुप मे डाल कर घन्टो तक सुनते रह्ता हुं. आप ये गाना रागा पर सुन सकते है

बुधवार, जुलाई 27, 2005

इश्क

कहते है इश्क मे
आंखो से निंद उड जाती है
कोई हमसे भी इश्क करे
कमबख्त निंद बहुत आती है !

मंगलवार, जुलाई 26, 2005

रोक दो मेरे ज़नाजे को.....

रोक दो मेरे ज़नाजे को,मेरी जान आ गयी है
पिछे मुडकर देखो जरा, दारू की दुकान आ गयी है
बोतल छुपा दो कफन मे मेरे, कब्र मे लेटा पिया करुँगा
जब मांगेगा हिसाब खुदा तो, जाम बना कर दिया करुँगा.