"शाहजहाँ" फिल्म का ये गाना कुन्दनलाल सहगल की आवाज मे है. गीत के बोल है मजरूह सुल्तानपुरी के और सन्गीत दिया है नौशाद ने.
गम दिये मुस्तक़ील, इतना नाजुक है दिल ये ना जाना
हाय हाय ये जालिम जमाना
दे उठे दाग लो उनसे ए महलो कह सुनाना
हाय हाय ये जालिम जमाना
दिल के हाथो से दामन छुडाकर
गम की नजरो से नजरे बचाकर
उठके वो चल दिये कहते ही रह गये हम फसाना
हाय हाय ये जालिम जमाना
कोइ मेरी रुदाद देखे,ये मोहब्बत की बेदाद देखे
फुक रहा है जिगर मगर पड रहा है मुस्कराना
हाय हाय ये जालिम जमाना
गम दिये मुस्तक़ील, इतना नाजुक है दिल ये ना जाना
हाय हाय ये जालिम जमाना
20 टिप्पणियां:
Hi
I am Tarun here, I am planning a Blogcamp in India (Pune), if possible try to make it to it, if not then do try to participate through internet, using Youtube, Slideshare etc.
I have found few other guys who are also very enthusiastic about having a Blogcamp. We are already in process of contacting some good bloggers like you and others on Blogosphere.
The venue will be SCIT Pune (Symbiosis Center for IT). We are already talking to a few people to sponsor food, tshirts and goodies. But all these things are secondary. Success of a Blogcamp is dependent upon it's participants and that is where we are focusing right now.
Do share you thoughts on it.
You can visit our wiki (http://barcamp.org/BlogCampPune).
We also have our blog ( www.blogcamppune.blogspot.com)
Regards,
Tarun Chandel
http://tarunchandel.blogspot.com
PS: I know this is not the right place to put this invitation, but I was not able to find your email id.
wah kyaa arz kya hai
NishikantWorl
tnqyyआ गया पटाखा हिन्दी का
अब देख धमाका हिन्दी का
दुनिया में कहीं भी रहनेवाला
खुद को भारतीय कहने वाला
ये हिन्दी है अपनी भाषा
जान है अपनी ना कोई तमाशा
जाओ जहाँ भी साथ ले जाओ
है यही गुजारिश है यही आशा ।
NishikantWorld
महोदय ,जय श्रीकृष्ण =मेरे लेख ""ज्यों की त्यों धर दीनी ""की आलोचना ,क्रटीसाइज्, उसके तथ्यों की काट करके तर्क सहित अपनी बिद्वाता पूर्ण राय ,तर्क सहित प्रदान करने की कृपा करें
जब आपने ब्लॉग बनाया है तो कुछ लिखते क्यों नहीं हो /लिखो यह भी सरस्वती का पूजन है
आशीष जी ये मेरे पापा का बहुत ही प्रिय गीत है ....वे गाते भी बहुत अच्छा हैं ....आपने एक मीठी याद दिला डी .....शुक्रिया ....!!
बहुत शानदार गीत, आभार आपका.
रामराम.
जालिम जमाने की आपने अच्छी खबर ली है।
बधाई।
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सावन आया, तरह-तरह के साँप ही नहीं पाँच फन वाला नाग भी लाया।
’तस्लीम’ द्वारा आयोजित चित्र पहेली-86 को बूझने की हार्दिक बधाई।
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सावन आया, तरह-तरह के साँप ही नहीं पाँच फन वाला नाग भी लाया।
बहुत अच्छा गीत
आभार
गाना तो बड़ा अच्छा है
सहगल जी के गाने मेरे श्वसुर को बड़े प्रिय थे
आशीष जी, तस्लीम चित्र पहेली-91 का विजेता बनने की बधाई स्वीकारें। कृपया आप मेरे मेल आईडी zakirlko@gmail.com पर सम्पर्क करें, जिससे आपको विजेता प्रमाण पत्र मेल द्वारा भेजा जा सके।
good song
आशीष जी, आप तस्लीम चित्र पहेली-93 में विजेता चुने गये हैं। बधाई स्वीकारें। कृपया मेरे मेल आईडी
zakirlko@gmail.com पर सम्पर्क करने का कष्ट करें, जिससे आपको विजेता प्रमाण पत्र मेल किया जा सके।
हाय हाय ये जालिम जमाना।
A beautiful song indeed. One of my favourites.
गुजरा जमाना याद आ गया। शुक्रिया।
और हां, क्या आपको मालूम है कि हिन्दी के सर्वाधिक चर्चित ब्लॉग कौन से हैं?
Ankhen to Dosti me Dil ki zuban hoti hai,
Sachhi Dosti to sada bezubaan hoti hai,
Dosti me judai bhi aae to kya ghabrana…..
suna hai judai se Dosti aur bhi jawan hoti hai…..!
Well said...
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